एक बार फिर भारतीय वायुसेना के लडाकू विमानों ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर अपना पराक्रम दिखाया। वहां का नज़ारा बिलकुल ऐसा था जैसे किसी युद्ध का नजारा था। विमानों गड़गड़ाहट के साथ सुबह 10 बजे यह अभ्यास शुरू हुआ। सबसे पहले हरक्यूलिस 130 मालवाहक विमान ने एक्सप्रेस वे पर लैंड किया। इस विमान में से गरुड कमांडो अपनी गाडियों और साजोसामान के साथ उतरे। विमान से उतरकर गरुड कमांडो ने अपना जौहर दिखाया।
इसके बाद दुश्मन के इलाके में घुसकर और काफी नीचे तक मार करने वाले तीन जगुआर, करगिल जंग में पाकिस्तान घुसपैठियों के छक्के छुड़ाने वाले 6 मिराज 2000 और वायुसेना का सबसे खतरनाक और हर तरह के रोल में फिट 6 सुखोई 30 जमीन को छूकर उड गए। ज्ञातव्य है कि ये तैयारी युद्ध जैसे हालात में रनवे बर्बाद होने की स्थिति में दुश्मन पर पलटवार करने के लिए अहम होती है।
भारतीय वायुसेना के 15 लडाकू विमानों ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे टचडाउन किया। इनमें से तीन जगुआर ने पहले एक्सप्रेसवे पर टचडाउन किया। इसके बाद तीन मिराज-2000 एक साथ उतरे। इन मिराज के उडान भरने के बाद तीन मिराज और उतरे।
इन मिराज के उडान भरने के बाद तीन सुखोई-30 एयर स्ट्रिप पर टच डाउन किया। इन तीन सुखोई 30 के उडान भरने के बाद तीन और सुखोई ने टचडाउन किया। लडाकू विमान सुपरसोनिक सुखोई एसयू-30, जगुआर और मिराज जब आगरा एक्सप्रेस-वे पर उतरे तो उनकी गति 260 किलोमीटर प्रतिघंटा थी।
इन विमानों के टचडाउन करने के बाद आखिर में मालवाहक हरक्यूलिस सी-130 फिर से आया। यह मालवाहक हरक्यूलिस गरुड कमांडोज को लेकर वापस रवाना हुआ। एयर स्ट्रिप को लैंडिंग के लिहाज से सुरक्षित करने के लिए यहां हरक्यूलिस को उतारा गया।