आज दिवाली है यानि दीपोत्सव, खुशियां मनाने का उत्सव। क्या गरीब क्या अमीर ये उत्सव सभी जीवन को खुशियों से भर देता है। व्यापारी पूरी साल इस उत्सव की प्रतीक्षा करते हैं ये हिन्दू धर्म में ही नहीं बल्कि हर धर्म के लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है। ये रौशनी का पर्व है सभी के जीवन में रौशनी भर जाती है। अँधेरा दूर हो जाता है। काले बादल छट जाते हैं।
तो आइये जानते हैं दिवाली पूजन का सही समय जिससे माँ लक्ष्मी प्रसन्न हो और सभी के घर खुशियों जाएँ।
इस वर्ष कार्तिककृष्ण अमावस्या दिनांक 19 अक्टूबर 2017 को प्रदोषकाल में अमावस्या होने से इसी दिन दीपावली मनायी जाएगी। लक्ष्मीपूजन प्रदोषयुक्त अमावस्या को स्थिरलग्न व स्थिरनवांश में किया जाना सर्वश्रेष्ठ होता है। इस वर्ष लक्ष्मीपूजन का समय इस प्रकार रहेगा। अमावस्या सूर्योदय से मध्यरात्रि 12:41 तक रहेगी। दीपावली लक्ष्मी की उत्पत्ति तिथि व लक्ष्मी-कुबेर पूजन के लिए स्वयंसिद्ध समय है, अत: लक्ष्मी-कुबेर से संबद्ध मांगलिक कार्य इस दिन शुभ माने गये है।
गुरुवार में हस्त नक्षत्र से राक्षस योग और चित्रानक्षत्र से निर्मित चरयोग सभी कार्यों में सिद्धि प्रदायक है और वैधृति के दोष का परिहार करते है। विष्कुम्भ योग इस पूजन हेतु श्रेष्ठ माना गया है। चित्रा नक्षत्र मृदु नक्षत्र है एवं सभी लक्ष्मी-कुबेर पूजन के लिए प्रशस्त माना गया है।
दिवाकाल के श्रेष्ठ समय :- शुभ का चौघडिय़ा प्रात: 06:33 से प्रात: 07:58 तक, चर-लाभ-अमृत का चौघडिय़ा प्रात: 10:47 से दोपहर 03:01 तक, शुभ का चौघडिय़ा सायं 04:25 से सायं 05:51 तक रहेगा। अभिजित दोपहर 11:49 से दोपहर 12:34 तक रहेगा।
सर्वश्रेष्ठ समय :- प्रदोष काल :- सायं 05:51 से रात्रि 08:26 तक। रात्रि के श्रेष्ठ चौघडिए:- अमृत-चर का चौघडिय़ा सायं 05:51 से रात्रि 09:01 तक, लाभ का चौघडिय़ा मध्यरात्रि 12:12 से मध्यरात्रि 01:47 तक, शुभ-अमृत का चौघडिय़ा अन्तरात्रि 03:22 से अन्तरात्रि 06:33 तक रहेगा। रात्रि के श्रेष्ठ लग्न :- वृषलग्न सायं 07:23 से रात्रि 09:20 तक रहेगा। सिंहलग्न मध्यरात्रि 01:53 से अन्तरात्रि 04:09 तक है।
इस दिन यह दीपक काल का चौघाड़िया में शाम 05:55 से शाम 07:30 बजे तक जलाया जा सकता है।