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चाचा को फिर से भूल गए अखिलेश, नहीं किया राष्ट्रीय टीम में शामिल

 

तो एक बार फिर मुलायाम सिंह यादव के कुनबे में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं नज़र आ रहा है। मुलायम सिंह के मुताबिक उनके परिवार में सब कुछ ठीक हो गया था लेकिन अखिलेश ने समाजवादी पार्टी के नेताओं की जो लिस्ट तैयार की है उसमें शिवपाल यादव को जगह ही नहीं दी है। अब अटकलें लगायी जा रही हैं कि शिवपाल यादव जल्द ही अपनी नयी पार्टी का ऐलान कर सकते हैं।
आपको बता दें कि अखिलेश यादव ने आगरा में हुए राष्ट्रिय अधिवेश में चाचा शिवपाल यादव का नाम ही शामिल नहीं किया। मुलायम सिंह यादव की इच्छा के बावजूद सूची में शिवपाल सिंह को जगह नहीं दी गई।
राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव को कार्यकारिणी के सदस्यों का चुनाव करने का अधिकार दिया गया था।

मुलायम और अखिलेश में सुलह के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि शिवपाल को कार्यकारिणी में जगह देकर अ‌िखिलेश पार्टी में चल रही सुलह की कोशिशों को और परवान चढ़ाएंगे, लेकिन अखिलेश यादव के इस कदम ने सुलह की कोशिशों को तगड़ा झटका दिया है।

अखिलेश के करीबी प्रोफेसर राम गोपाल यादव को समाजवादी पार्टी का प्रमुख महासचिव बनाया गया है। किरनमय नन्दा को उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

आजम खां, सुरेन्द्र नागर, बलराम यादव, नरेश अग्रवाल, रवि प्रकाश वर्मा, विशंभर प्रसाद, इंद्रजीत सरोज, रामजीलाल सुमन, समाशंकर विद्यार्थी राजभर, अवधेश प्रसाद को महासचिव नियुक्त किया गया है।​ संभव है इससे शिवपाल और अखिलेश के बीच इस फैसले से तल्‍खी और बढ़ सकती है।

सपा संस्‍थापक मुलायम सिंह भी अखिलेश के इस फैसले से खुश नहीं होंगे। पहले भी कई मौकों पर मुलायम अखिलेश के फैसलों पर नाखुशी जाहिर कर चुके हैं।

13 अक्तूबर को राम मनोहर लोहिया की 50वीं पुण्यतिथि पर अखिलेश और मुलायम साथ लोहिया पार्क पहुंचे थे। इस मौके पर मुलायम ने कहा था कि परिवार में कोई मतभेद नहीं है, सब एक हैं।

लोहिया ट्रस्ट में इस अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में शिवपाल के साथ अखिलेश और मुलायम ने मंच साझा किया था। इन सारी कवायदों से लग रहा था कि लंबे समय से चली आ रही मुलायम परिवार की कलह अब शांत हो जाएगी।

संभव है अखिलेश के इस कदम के बाद शिवपाल एक बार फिर नई पार्टी बनाने पर विचार कर सकते हैं। हालांकि इस मुद्दे पर 25 सितंबर को हुई एक प्रेस कॉफ्रेंस में मुलायम ने नई पार्टी के गठन की खबरों को बेबुनियाद बताते हुए खुद को सपा के साथ बताया था।

मीडिया के हाथ लगे प्रेस नोट से यह साफ हो गया था कि शिवपाल नई पार्टी के गठन के पक्ष में थे और मुलायम को इस प्रेस कॉफ्रेंस में इसका एलान करना था।

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