अगर आप बिहार, बंगाल या नार्थईस्ट की तरफ ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं तो आपको रास्ते में एक ऐसा स्टेशन जरूर पड़ेगा जिसका नाम है मुगलसराय। इस स्टेशन पर आपकी ट्रेन जरूर रुकेगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज से इस स्टेशन का नाम क्या हो गया है। अब इस स्टेशन का नाम मुगलसराय से बदलकर पंडित दीन दयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन रख दिया गया है।
आपको बता दें कि , “मुगलसराय स्टेशन का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जाना जाता है”। मुगलसराय को एशिया के सबसे बड़े रेलवे मार्शलिंग यार्ड के रूप में जाना जाता है।
वाराणसी 15 किमी पूर्व दिशा में मुगलसराय को उत्तर प्रदेश के चन्दौली जनपद का मिनी महानगर कहा जाता है। विश्व में अपनी अलग पहचान रखने वाला मुगलसराय एशिया का सबसे बड़ा रेलवे यार्ड व एशिया की विशालतम कोयला मण्डी यहीं चन्धासी में स्थित है। अपने अतीत में अनेकों रहस्य समेटे यह नगर बहुसांस्कृतिक, बहुवर्गीय व बहुधार्मिक पहचान रखता है। इसके नामकरण के बारे मान्यता है कि मुगलकालीन सम्बन्धों की वजह से इसका नाम मुगलसराय पड़ा।
मुगलों की सराय
मुगलकालीन समय में यहां मुगलों की दो सरायें हुआ करतीं थीं जिसमें मुगलों की सेना व व्यापारी ठहरा करते थें बाकी इन सरायों के पास इनके मनोरंजन के वास्ते वेश्याओं व हिजड़ों का जमावड़ा हुआ करता था। इस शहर को बसाने में शेरशाह सूरी का बड़ा योगदान है क्योंकि पहले ग्रान्ट ट्रंक रोड ने ही इसके भाग्य लकीर खींची थी। मुगलसराय राष्ट्रीय राज मार्ग नम्बर दो पर बसा है। मुगलसराय दिल्ली व हावड़ा रेल लाइन के बीच स्थित है।
मुगलसराय की पहचान सादगी व सरलता के प्रतिमूर्ति व राष्ट्र के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्म स्थान के रूप में है तथा एकात्म मानववाद के प्रणेता व महापुरूष पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी का पार्थिव शरीर सफेद कपड़े में लिपटा इसी मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर मिला था।
दिल्ली-हावड़ा रेलवे मार्ग का प्रमुख रेलवे स्टेशन मुगलसराय अब दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाएगा। केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है जिसमें मुगलसराय स्टेशन का नाम बदला जाना है।
मुगलसराय रेलवे स्टेशन वाराणसी के पास है। पंडित दिन दयाल उपाध्याय जनसंघ के नेता थे। उनके शताब्दी वर्ष के अवसर पर योगी सरकार ने मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम उन पर रखने का फैसला लिया था।
दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर कई योजना भी वर्तमान में चलाई जा रही है। बता दें कि मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलने को लेकर पहले काफी हंगामा भी हुआ था। मुगलसराय में कई संस्थाओं ने इस बात का विरोध किया था।
इस फैसले को जहां भाजपाई पंडित दीनदयाल के नीतियों के प्रसार में बड़ा कदम मान रहे हैं और खुशी मना रहे हैं। वहीं मुगलसराय का नाम बदल कर लाल बहादुर शास्त्री के नाम पर रखने को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे लोग इसे धोखाधड़ी बता रहे हैं।