रूस भारत के साथ जबर्दस्त हथियारों की डील करना चाहता है और इसके लिए वो ख़ुद से पहल कर रहा है। भारत हथियारों की खरीद में टॉप 5 देशों में शुमार है। कभी भारत को रूस से हथियार खरीदने के लिए आग्रह करना पड़ता था। और आज वो वक़्त आ गया है जब रूस खुद भारत के साथ डील करने की बेकरारी दिखा रहा है।
वैसे तो रूस भारत का सबसे अच्छा दोस्त रहा है और है भी। लेकिन अब अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि उभरी है और इन सबका कारण हैं पीएम मोदी। रूस को अब पता चल चुका है कि भारत के साथ अन्य देश भी वैसे ही मधुर सम्बंध बना रहे हैं इसी वजह से वो अब खुद से पहल कर व्यापार बढ़ाना चाहता है।
रूस की सैन्य विमान बनाने वाली दिग्गज कंपनी ‘मिग’ की नजर भारतीय नौसेना से अरबों डॉलर के करार पर है। कंपनी ने रविवार को कहा कि वह विमानों की प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर मिग-29K विमानों का निर्माण करने के खिलाफ नहीं है।
मिग के सीईओ इलिया तारासेंको ने कहा कि ‘उनकी कंपनी जल्द ही भारत सरकार को इस संबंध में एक विस्तृत प्रस्ताव देगी। भारत के साथ अपने नजदीकी संबंधों को और गहरा बनाने के लिए कंपनी नौसेना के लिए साझा तौर पर विमान का उत्पादन करने के लिए तैयार है।’
उन्होंने कहा, ‘हम दीर्घकालिक और सहयोग के परिप्रेक्ष्य में कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। इसमें मेक इन इंडिया के रूपरेखा के तहत काम करना भी शामिल है।’
नौसेना ने 57 लड़ाकू विमान खरीदने की प्रक्रिया शुरू की
इस साल जनवरी में भारतीय नौसेना ने अपने बेड़े में 57 बहु-उद्देश्यीय लड़ाकू विमान शामिल करने के लिए खरीद प्रक्रिया शुरू की थी। इसके लिए नौसेना की ओर से बाकायदा दुनिया की बड़ी विमान निर्माता कंपनियों को सूचित करने के लिए अनुरोध भेजा गया था।
दसाल्त, बोइंग, लॉकहीड मार्टिन जैसी कंपनियों से है मुकाबला
इस समय छह अलग-अलग लड़ाकू विमानों को भारतीय विमानवाहक पोत के अनुकूल पाया गया है। इनमें फ्रांस की दसाल्त का राफेल, अमेरिका की बोइंग का एफ-18 सुपर होरनेट, रूस का मिग-29के, अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन का एफ-35बी, एफ-35सी और स्वीडन की साब का ग्रिपिन फाइटर प्लेन शामिल है। जहां एफ-18, राफेल और मिग-29के डबल इंजन वाले जेट हैं, वहीं अन्य विमानों में सिंगल इंजन हैं।