बिहार की राजनीति में एक नया भूचाल आया है। जेडीयू का खेल अभी तक थम नहीं रह है। नीतीश द्वारा शरद यादव के धड़े को पार्टी से निष्कासन करने के बाद शरद यादव और उनके गट में हलचल शुरू हो गयी थी। नीतीश के महागठबंधन से अलग होने पर शरद यादव की नाराजगी साफ झलकी थी जिसके बाद सगार्ड यादव ने सार्वजनिक रूप से नीतीश को दोषी ठहरा दिया था।
जदयू के शरद यादव धड़े ने बिहार के मुख्यमंत्री और पार्टी के अध्यक्ष नीतीश कुमार के खिलाफ लड़ाई तेज कर दी है। पार्टी में टूट की संभावनाओं को आगे बढ़ाते हुए बागी धड़े ने रविवार को ‘राष्ट्रीय कार्यकारिणी’ की बैठक बुलाई और छोटूभाई वासवा को अपना कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। इसके अलावा नीतीश पर कार्रवाई का फैसला करने के लिए एक अनुशासन समिति भी गठित की गई है।
शरद यादव धड़े द्वारा रविवार को बुलाई गई इस बैठक में नीतीश को निशाना बनाने के लिए कई फैसले लिए गए। हालांकि बागी धड़े का यह कदम प्रतीकात्मक ज्यादा नजर आया, क्योंकि माना जा रहा है कि पार्टी में नीतीश को बड़ा समर्थन हासिल है। यादव से नजदीकी के चलते पार्टी के महासचिव के पद से हटाए गए अरुण कुमार श्रीवास्तव ने यहां एक प्रेस कांफ्रेंस में दावा किया कि जदयू के ज्यादातर राज्य प्रमुख और कार्यकर्ता उनके साथ हैं।
आज की बैठक में कई फैसले लिए गए। इसमें कई नई नियुक्तियां भी की गई हैं। शरद धड़ा पार्टी के चुनाव निशान पर दावा जताने के लिए जल्द ही चुनाव आयोग से मिलेगा। बैठक में उन राज्यों के प्रमुखों को फिर से बहाल कर दिया गया है जिन्हें नीतीश कुमार ने अलग-अलग समय पर पद से हटा दिया था।
भाजपा के खिलाफ ‘महागठबंधन’ का हिस्सा बनेगा शरद धड़ा
राज्यसभा सांसद अली अनवर की मौजूदगी में श्रीवास्तव ने कहा कि जल्दी ही उनका धड़ा भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों के ‘महागठबंधन’ का हिस्सा बनेगा। उन्होंने कहा, ‘हमने जदयू की गुजरात इकाई के अध्यक्ष और छह बार के विधायक छोटूभाई वासवा को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से तय किया है कि जब तक पार्टी का नया अध्यक्ष नहीं चुना जाता उनका धड़ा छोटूभाई के नेतृत्व में काम करेगा।’
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में लिए गए कई फैसले ‘असंवैधानिक’ हैं और कार्यकारिणी ने उन्हें पलट दिया। श्रीवास्तव ने कहा, नीतीश ने अनिल हेगड़े को संगठनात्मक चुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिसर बनाया था। यह फैसला पार्टी के नियमों के खिलाफ था क्योंकि केवल राष्ट्रीय कार्यकारिणी ही ऐसा फैसला ले सकती है। लिहाजा कार्यकारिणी ने यह फैसला किया है कि हेगड़े की निगरानी में हुए सभी चुनाव अमान्य हैं। कई राज्यों के प्रमुखों को हटाने के फैसले पर भी रोक लगा दी गई है और उन्हें फिर से पद पर बहाल कर दिया गया है।
चुनाव आयोग के समक्ष पार्टी निशान को लेकर रणनीति के बारे में पूछे जाने पर श्रीवास्तव ने कहा, ‘हम फिर आयोग के पास जाएंगे और नए दस्तावेज पेश करने के लिए समय दिए जाने की मांग करेंगे। आयोग ने हमारे दावे को खारिज नहीं किया है, सिर्फ उसे ‘अलग रख’ दिया है। हमने पहले अपने दावे के समर्थन में कोई दस्तावेज नहीं दिया था। हम शुक्रवार को फिर चुनाव आयोग के पास जाएंगे और उन्हें हस्ताक्षर किया हुआ हलफनामा सौंपेंगे। हमने कुछ और दस्तावेज जमा कराने के लिए एक महीने का समय दिए जाने की मांग की है। हम अगले 10 से 15 दिन में उन्हें जमा करा देंगे।’