पिछले कई दशकों से भारत को किसी ना किसी बहाने से घेरने वाला चीन इस बार खुद घिरता नज़र आ रहा है। इन सबका कारण है पीएम मोदी की विदेश रणनीति। चीन पिछले कई दशकों से भारतीय सीमाओं पर अपना हक जता हम पर दादागीरी झाड़ता रहा है लेकिन इस बार चीन को यह भारी पड़ रहा है। डोकलाम मुद्दे पर अमेरिकी साथ के बाद जापान और रूस भी भारत को खुलकर समर्थन दे रहे हैं।
इसका अलावा भारतीय सेना भी है जो चीन के पुलछल्ले सैनिकों के सामने डंटकर खड़ी है और हर बात का जबाव वो उसी के तरीके से दे रही है।
डोकलाम विवाद पर युद्ध के बाद होने वाले खतरे को चीन पहले ही भांप गया है। इसी वजह से चीन किसी भी प्रकार के युद्ध से बचने की कोशिश कर रहा है। दरअसल चीनी सरकार का मानना है कि भारत के साथ युद्ध से चीन को फायदा नहीं बल्कि नुकसान ही होगा। बता दें कि करीब 3 महीने से इस इलाके में भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने हैं। दोनों ही देश डोकलाम को लेकर अपनी-अपनी मांगो पर अड़े हुए हैं।
डोकलाम बॉर्डर पर भारत और चीन के बीच विवाद दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। डोकलाम में तनाव की स्थिति ऐसी है कि वहां युद्ध के हालात उत्पन्न हो गए हैं। इसी बीच चीनी सरकार ने युद्ध को लेकर मूल्यांकन किया है। सरकार ने पाया कि डोकलाम पर भारत के साथ युद्ध की स्थिति में चीन को किसी भी प्रकार का लाभ नहीं होगा। चीनी सरकार के अनुमान के मुताबिक युद्ध से चीन को सिर्फ जान माल का नुकसान ही होगा।
इसी बीच डोकलाम गतिरोध पर भारतीय सेना के रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बख्शी ने कहा कि डोकलाम पर चीन के बिगड़े रवैये का अंत अब युद्ध ही है। चीन को धूल चटाने में भारतीय सेना सक्षम है। ऐसे में अगर वे नहीं मानें तो हम युद्ध करने से पीछे नहीं हटेंगे।
भारत-चीन-भूटान के बीच स्थित डोकलाम को लेकर 16 जून से विवाद चल रहा है. आपको बता दें कि डोकलाम में चीन की तरफ से किए जा रहे सड़क निर्माण को भारतीय सैनिकों ने रोक दिया था। 2 महीनों से ज्यादा समय से चल रहे इस विवाद में भारत को अमेरिका के समर्थन का अनुमान है, तो वहीं अब जापान का भी समर्थन हासिल होने के बाद भारत की ताकत और भी बढ़ गई है।
बता दें कि अमेरिका और रूस जैसे बड़े देशों ने भी भारत और चीन से इस मुद्दे को बातचीत के जरिए हल करने को कहा है। इसी बीच भूटान ने भी डोकलाम को अपनी जमीन बताई है जिससे इस मुद्दे पर भारतीय पक्ष को बल मिला है।