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तो अब महामहिम रामनाथ कोविंद, ना वो गरीबी ना दलित वाला अत्याचार अब बस महल जैसा संसार

 

 

जैसे ही जीत का औपचारिक ऐलान हुआ वैसे ही महामहिम बन गए दलित रामनाथ कोविंद। रामनाथ कोविंद को दलित कहने के लिए क्षमा चाहुंगा लेकिन भाजपा के द्वारा दलित रामनाथ कोविंद कहकर ही ज्यादा प्रचारित किया गया। और किया भी क्यों ना जाये 2019 नज़दीक है लोकसभा चुनावों के लिए मात्र 2 साल बचे हैं और आगे के लिए मोदी का भविष्य भी तय होना है।

इसके अलावा कहीं न कहीं भाजपा भी ये दिखाने में कामयाब हो गयी कि वो दलितों की कितनी हितैषी है। अभी देश के कई हिस्सों में दलितों पर बढ़े अत्याचार से भाजपा चिंता में थी कि ऐसा क्या किया जाए जिससे कि दलितों को रिझाया जा सके। तब रामनाथ कोविंद से बढ़िया नाम उन्हें नहीं सूझा। और अब जब जीत का औपचारिक ऐलान हो गया है तो देखना बाकी रहेगा कि दलितों का वोट कितना भाजपा के पक्ष में जाता है।

भाजपा ने राष्ट्रपति चुनाव में दलित कार्ड खेलकर राष्ट्रपति पद के लिए वोट जरूर बटोरी हैं लेकिन क्या इससे राह आसान हो गयी? ये तो आने वाला वक़्त बताएगा कि आगे होता क्या है।
फिलहाल रामनाथ कोविंद महामहिम बन गए हैं। और ये भाजपा और कोविंद के जश्न का वक़्त है।

राष्ट्रपति चुनाव के लिए हुए मतदान में एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद देश के 14वें और उत्तर प्रदेश से पहले राष्ट्रपति होंगे। दलित बनाम दलित राष्ट्रपति पद के चुनाव में उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को करारी शिकस्त दी है।
कोविंद को 65.65 फीसदी तो मीरा कुमार को 34.35 फीसदी मत मिले हैं। इस चुनाव में कोविंद को क्रॉस वोटिंग का भी जबर्दस्त लाभ मिला है। जबकि 37 (21 सांसद और 16 विधायक) के वोट अमान्य घोषित हुए हैं। कोविंद के पक्ष में 522 तो मीरा के पक्ष में 225 सांसदों ने वोट डाले। जीत से भावुक कोविंद ने इसे भारतीय परंपरा की महानता का प्रतीक बताते हुए सर्वे भवंतु सुखिन: के भाव से काम करते रहने की घोषणा की है।
चुनाव अधिकारी अनूप मिश्र ने कोविंद की जीत की घोषणा करने के बाद खुद इसकी जानकारी देने उनके अस्थाई निवास पर पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित सभी राजनीतिक हस्तियों ने कोविंद को जीत की बधाई दी है।
कोविंद 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। संसद भवन में 8 राउंड में हुई गिनती में कोंविंद मीरा पर शुरू से ही बढ़त बनाए हुए थे। 5वें राउंड की गिनती में ही उन्हें इस पद के लिए जरूरी वोट हासिल हो गए थे। अंतिम राउंड की गिनती पूरी होते ही चुनाव अधिकारी मिश्र ने कोविंद की जीत की घोषणा की। उन्होंने बताया कि कोविंद के पक्ष में 702044 तो मीरा के पक्ष में 367314 मत पड़े।

आंकड़ों की दृष्टि से राजग का पलड़ा बेहद भारी होने के कारण शुरू से ही इस चुनाव को महज औपचारिकता माना जा रहा था। खासतौर से राजग उम्मीदवार को जदयू, बीजद, वाईएसआर कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, टीआरएस का साथ मिलने से लड़ाई एकतरफा हो चुकी थी। हालांकि इसके बावजूद राजग उम्मीदवार को तय करीब 62.50 फीसदी से 3 फीसदी अधिक मत दिला कर राजग कांग्रेस की अगुवाई में एकजुट हुए विपक्ष को बड़ा झटका देने में कामयाब रहा।

राजग उम्मीदवार रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति चुनाव तो बड़ी आसानी से जीत गए, मगर सबसे बड़ी जीत का कीर्तिमान नहीं बना सके। भाजपा की कोशिश कोविंद के पक्ष में सबसे बड़ी जीत हासिल करने वाले वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी ज्यादा वोट दिलाने की थी। इस क्रम में भाजपा ने तय मत से करीब तीन फीसदी ज्यादा मत हासिल करने में कामयाबी तो हासिल की, मगर नया कीर्तिमान नहीं बना पाई। गौरतलब है कि बीते राष्ट्रपति चुनाव में मुखर्जी को करीब 70 फीसदी (713763) मत मिले थे। जबकि इस चुनाव में कोविंद को 65.65 फीसदी (702044) मत मिले। जबकि इस चुनाव में पिछले चुनाव की तुलना में ज्यादा मतदान हुआ था।

 

 

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