पहले भारत की जलवायु परिवर्तन मुद्दे पर जमकर आलोचना करने वाला अमेरिका अपनी वैश्विक किरकिरी की वजह से डैमेज कंट्रोल में जुट गया है। आपको बता दें कि जलवायु परिवर्तन संधि तोड़ने के बाद भारत चीन अलग थलग पड़ गए थे इसके बाद ट्रम्प की पूरी दुनिया में खासी आलोचना हुई थी इतना ही नहीं ट्रम्प को अपने देशवासियों का ही विरोध झेलना पड़ा इसके बाद ट्रम्प को फिर से सोचने पर मजबूर होना पड़ा और इस बार भी सहारा लेना पड़ा भारतीय प्रधानमंत्री मोदी का।
इसी वजह से अब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी माह अमेरिका के दौरे पर जाएंगे। वो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के खास बुलावे पर 26 जून को वॉशिंगटन डीसी पहुंच रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस अमेरिकी दौरे पर जाने से भारत-अमेरिका के बीच कई मुद्दों पर सीधी बात होगी। खासकर उन बिगड़ी बातों पर भी फायदा मिल सकता है, जिसमें एच1 वीजा मामला, आतंकवाद और पेरिस जलवायु समझौते जैसे मुद्दे शामिल हैं। इस मामले में ट्रंप ने भारत पर निशाना साधा था। डोनल्ड ट्रंप से मुलाकात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पेरिस जलवायु परिवर्तन संधि को लेकर भी बातचीत कर सकते हैं। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा से भारतीय पेशेवरों से संबंधित वीजा मामले पर भी बात होगी। बता दें कि अमेरिकी सरकार ने डोनल्ड ट्रंप के आने के साथ ही अमेरिका में आव्रजन संबंधी कानूनों को कड़ा कर दिया था। दरअसल, भारत को लेकर जो नीति नरेंद्र मोदी की है, कुछ वैसी ही नीतियों पर डोनल्ड ट्रंप भी चलते हैं। उन्होंने भी ‘अमेरिकियों द्वारा, अमेरिकियों के लिए, अमेरिका में’ जैसे स्लोगन उठाए हैं। यही वजह है कि ट्रंप प्रशासन ने विदेशी कामगारों को लेकर नीति में कड़ाई लाई है। भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि उनकी सरकार एच1 वीजा मामले में लगातार अमेरिकी प्रशासन से संपर्क में है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये अमेरिकी दौरा एक दिन का ही है, जिसमें वो डोनल्ड ट्रंप से सीधे मुलाकात करेंगे। इसके अलावा नरेंद्र मोदी कुछ अमेरिकी सीईओ से भी मिलेंगे। अपने पिछले दौरे पर नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में बड़ी जनसभा का आयोजन किया था। पर इस बार का उनका दौरा सिर्फ एक ही दिन का रहेगा, जिसमें वो तय एजेंडे पर ही आगे बढ़ेंगे।