आपको बता दें कि पशु बिक्री पर लगी रोक को देखते हुए इस प्रदेश में लगभग भाजपा के सभी शीर्ष नेता अपनी ही पार्टी के ख़िलाफ़ हो गए हैं। इतना ही नहीं इन सब नेताओं ने प्रदेश जी कांग्रेस सरकार के साथ मिलकर वाकायदा केंद्र सरकार के बीफ बैन के खिलाफ़ प्रस्ताव भी पारित कर दिया।
हम बात कर रहे हैं मेघालय की जहाँ सरकार ने विपक्ष के साथ मिलकर पशु बिक्री बैन के खिलाफ एसेंबली में प्रस्ताव पारित किया।
मेघालय एसेंबली में वध के लिए पशुओं की खरीद बिक्री पर रोक के केन्द्र के फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पारित कराया गया है। सोमवार को मेघालय एसेंबली के विशेष सत्र में ये प्रस्ताव पास किया गया। ज्ञात रहे, गत 28 मई को केन्द्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर वध के लिए पशु मंडियों में जानवरों की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी है।

केन्द्र के इस फैसले को बीफ बैन से जोडकर देखा जा रहा है। इस फैसले का मेघालय ही नहीं, अन्य कई राज्यों में भी विरोध हो रहा है। मेघालय में तो बीजेपी के कई नेताओं ने बीफ पार्टी का आयोजन भी किया और अपना इस्तीफा भी दे दिया। एसेंबली में सोमवार को इस मुद्दे पर बहस के दौरान विधायकों ने केन्द्र के इस फैसले के खिलाफ कडी आपत्ति जताई और इस फैसले को पूर्वोत्तर के लोगों की भावनाओं पर आघात बताया।
मेघालय में आदिवासियों और जनजाति समूहों के बीच बीफ खाने की परंपरा है। केन्द्र की इस अधिसूचना को लेकर पूर्वोत्तर के लोग नाराज हैं। मेघालय के बीजेपी नेताओं ने भी पार्टी आलाकमान के खिलाफ बगावत का बिगूल फूंक दिया व बाचू मराक और बर्नाड मराक ने ये कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि केन्द्र सरकार आदिवासी अस्मिता के साथ खिलवाड कर रही है।
बता दें, दक्षिण भारत में भी केंद्र कों विरोध झेलना पड रहा है। मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती की याचिका दी गई थी, इसके बाद कोर्ट की मदुरै बेंच ने केन्द्र की अधिसूचना पर एक सप्ताह की रोक लगा दी है।
केन्द्र सरकार का कहना है कि उसकी मंशा लोगों की खान-पान की आदतों पर लगाम लगाना नहीं है बल्कि गायों और दूसरे जानवरों की तस्करी रोकना है, साथ ही गोवध के नाम पर जानवरों के साथ होने वाले अत्याचार को भी बंद करना है।
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