भारत रूस के रिश्ते शुरू से ही बहुत ही अच्छे और निर्मल रहे हैं। लेकिन 2014-15 के दौरान मोदी की रूस से पहले अमेरिका यात्रा की वजह से रिश्तों में थोड़ी कटुता आ गयी थी लेकिन मोदी की कूटनीति ने इसको सँभालते हुए रूस के साथ सामरिक रिश्ते बनाने की कवायद शुरू कर दी और तल्ख़ रिश्ते फिर से मधुर बन गए।
प्रधानमंत्री मोदी नरेंद्र मोदी ने चार यूरोपीय देशों की यात्रा के तहत रूस पहुंच गए हैं। आज मोदी रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन के साथ 18वें भारत-रूस सालाना सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इसके बाद वह 2 जून को सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम को संबोधित करेंगे। मोदी इसे रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन के साथ संयुक्त रूप से संबंध करेंगे। फोरम में भारत इस बार मेहमान देश है। इसे दोनों देशों के 70 साल पुराने रिश्तों के जश्न के तौर पर देखा जा रहा है।
भारत और रूस की दोस्ती के सत्तर साल हो चुके हैं। इस दौरान रूस भारत का सबसे बड़ा सहयोगी देश रहा। लेकिन दो ध्रुवीय विश्व व्यवस्था और सोवियत आर्थिक मॉडल के ढहते ही दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं।
वक्त के तकाजों ने भारत को अमेरिका से नजदीकियां बढ़ाने को प्रेरित किया। और इधर रूस का चीन और पाकिस्तान की ओर झुकाव बढ़ा। बहरहाल, भारत और रूस ने एक बार फिर अपने रिश्तों की अहमियत पहचानी है और इसकी बुनियाद मजबूत बनाने के मंसूबे बांधें हैं।
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