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नक्सली या आतंकवादी हमला, सुकमा में 25 जवानों की शहादत का कौन जिम्मेदार


सुकमा में हुए कायराना हमले का जिम्मेदार आखिर कौन हैं? नक्सली या आतंकवादी, सुकमा में हुए आतंकवादी नक्सली हमलों में 25 बहादुर जवानों की शहादत हुई है उन जवानों की शहादत का कौन जिम्मेदार है?
ये सवाल अब से नहीं बल्कि पिछले कई सालों से छत्तीसगढ़ और झारखण्ड की जमीन पूँछ रही है, वहां के नागरिक पूँछ रहे हैं, जो जवान अब तक शहीद हुए हैं उनका परिवार पूँछ रहा है, कब तक? कब तक जवान यूँ ही अपनों से लड़ते शहीद होते रहेंगे?

वाकई ये सवाल दुखद हैं, आज छत्तीसगढ़ में घात लगाकर किए गए नक्सलियों के हमले में CRPF के 25 जवान के शहीद हो गए। हमले में कई जवान घायल भी हुए हैं। उन्हें इलाज के लिए हेलिकॉप्टर से रायपुर और जगदलपुर ले जाया गया है। जवानों की जवाबी फायरिंग में कुछ नक्सलियों को भी गोली लगने की खबर है। इस बीच, राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह दिल्ली में सभी कार्यक्रम रद्द कर रायपुर पहुंच गए हैं और वहां आपात बैठक बुलाई है।

 

 

सीआरपीएफ की 74 वीं बटालियन का एक दल सुकमा में रोड ओपनिंग पार्टी के तौर पर इलाके में गश्त पर था। इसी दौरान दोपहर डेढ़ बजे के करीब चिंतागुफा के पास बुर्कापाल इलाक में करीब 300 नक्सलियों ने CRPF जवानों पर घात लगाकर हमला कर दिया। जानकारी के मुताबिक, गश्ती दल में उस समय 150 जवान थे, लेकिन अचानक हुए हमले से उन्हें संभलने का मौका नहीं मिला।

नक्सलियों ने पहले IED ब्लास्ट किया और फिर फायरिंग शुरू कर दी। जवानों ने भी जवाबी फायरिंग की। बताया जा रहा है कि नक्सली मारे गए जवानों के हथियार अपने साथ लेकर जाने में सफल हुए हैं। उल्लेखनीय है कि सुकमा में ही वर्ष 2010 में हुए नक्सली हमले में 76 जवान शहीद हो गए थे।

हमले में घायल एक जवान शेर मोहम्मद ने बताया, ‘पहले नक्सलियों ने हमारी लोकेशन की जानकारी ली और फिर करीब 300 नक्सलियों ने हमपर हमला कर दिया। हमने भी जवाबी हमला किया और कई नक्सलियों को मार गिराया।’ मोहम्मद ने बताया, ‘150 की संख्या में जवानों ने भी जवाबी हमला जारी रखा। मैंने 3-4 नक्सलियों को सीने में गोली मारी।’

 

 

नक्सली हमले के बाद राज्य के सीएम रमन सिंह दिल्ली में अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर छत्तीसगढ़ रवाना हो गए हैं। रमन सिंह ने रायपुर में आपात बैठक बुलाई है। इस बीच बस्तर के आईजी विवेकानंद सिन्हा और डीआईजी सुंदरराज सुकमा के लिए रवाना हो गए हैं।
सोमवार को ही राज्य के दंतेवाड़ा जिले में बम डिस्पोजल स्क्वॉड ने नक्सलियों द्वारा प्लांट किया गया 10 किलो IED विस्फोटक भी डिफ्यूज किया नहीं तो यहां भी बड़ा हादसा हो सकता था। गौरतलब है कि पिछले दिनों भी सुकमा में एक नक्सली हमले में 12 जवान शहीद हो गए थे।

सोमवार को ही RTI के तहत गृह मंत्रालय के वामपंथी चरमपंथ प्रकोष्ठ से मिली जानकारी भी सामने आई थी। इसके मुताबिक देश में पांच वर्षों से कुछ अधिक समय में नक्सली हिंसा की 5,960 घटनाएं घटी हैं। इन घटनाओं में 1,221 नागरिक, 455 सुरक्षाकर्मी तथा 581 नक्सली मारे गए हैं।

जिस जगह ये हमला हुआ वहां सड़क नहीं है, मुख्यमंत्री के मुताबिक अगर वहां सड़क बन जाती तो नक्सलियों से निपटना बड़ा आसान हो जाता।
सभी जानते हैं कि रमन सिंह छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री हैं और छत्तीसगढ़ को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त है इसके बाबजूद रमन सिंह नक्सली इलाकों में सड़क क्यों नहीं बनवा पाये, अब सवाल उठता है कि क्या वहां नक्सली सरकार से भी ज्यादा मजबूत हैं? क्या सरकार नक्सलियों के आगे इतनी कमजोर है कि वो नक्सलियों के आगे घुटने टेक देती है। सुकमा में बार बार हुए नक्सली हमले इसी बात का सबूत हैं कि वहां नक्सली सरकार की कमजोर नीतियों की वजह से मजबूत होते जा रहे हैं और इसकी बदौलत देश वीर बहादुर जवानों को खोता जा रहा है।
मनीष कुमार

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