आज अन्तर्राष्टीय महिला दिवस है। लेकिन क्या सही मायने में महिलाओं को वो आज़ादी मिल पाई है जिससे कि उसे पुरुष मानसिकता से छुटकारा मिल गया हो?
पुरुष मानसिकता का तात्पर्य उस गलत मानसिकता से है जिसमें पुरुष महिलाओं पर अपना दासी जैसा अधिकार समझता है। दासी यानी वो नौकरानी जो पुरुष का हर कार्य भी करे। बच्चे भी पैदा करे। पुरुष को संतुष्टि भी प्रदान करे। वह चाहे थकी हारी हो क्यों न हो, लेकिन पुरुष अगर थका हुआ है तो वह अपनी थकान उतारने के लिए अपनी दासी रूपी पत्नी को आदेश दे सकता है कि उसे सब कुछ छोड़कर उसकी सेवा करनी ही होगी। महिला को अपने पति की थकान उतारने के अपनी थकान, अपने दुख को भूलना होता है।
जी आज भी हमारे देश में 90% महिलाएं इसी दासी प्रथा की गुलाम हैं। महिलाओं की आज़ादी के आंकड़ों के अनुसार भारत में 95% मुस्लिम महिलाओं को किसी तरह की आज़ादी नहीं है कि वो पुरुषों की सोच से उठकर काम नहीं कर सकती हैं।
वहीं हिन्दुओं में भी हालत खराब है हिन्दुओं में 90 % महिलाएं शादी के बाद दासी जैसा जीवन व्यतीत करती हैं। तो सबसे कम सिख, और बौद्ध धर्म में 55 % महिलाएं इस कुप्रथा की शिकार हैं। यानी हमारे देश में महिलाओं को पुरुषों के मुताबिक चलना होता है। उनकी सोच के अनुसार कार्य करना होता है। हमारे देश की 80% महिलाएं रसोई से लेकर घर संभालने तक सीमित रहती हैं।
इस वीडियो को देखें। यह वीडियो आजकल सोशल मीडिया पर काफी फैल रहा है। इस वीडियो में आप खुद से सवाल करें क्या यह सही हो रहा है?
पत्नी के साथ इस कदर जबरदस्ती कहाँ तक जायज है। इस वीडियो में आप खुद देख सकते हैं पत्नी डांस करने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रही है उल्टा वो परेशान दिख रही है। लेकिन इस वीडियो में दिख रहा व्यक्ति जबरदस्ती महिला को नचा रहा है, और ऐसा करके वो महिला का खुलेआम तमाशा बना रहा है। यहां तक कि इस दौरान महिला के कान में कुछ चोट भी लग जाती है।
भीड़ इस तमाशे का खूब मजा ले रही है। सबसे बड़ी बात महिला के बन रहे इस तमाशे में खुद महिलाएं भी जोर-जोर से ठहाके लगा रही है।
अब आप खुद सोचिए कि क्या यही है वो महिला दिवस जिसको लेकर हम चिल्लम चिल्लू कर रहे हैं और एक दिन के प्रेम के दिखावे के लिए बढ़चढ़कर संदेश – संदेश खेल रहे हैं।
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मनीष कुमार
ख़बर 24 एक्सप्रेस