आज महाशिवरात्रि है यानि भगवान भोलेनाथ को आराधना का दिन। उस आराधना का दिन जब भगवान शिव अपने सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं।
इस दिन भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक किया जाता है। पवित्र गंगा जल से जलाभिषेक करने के बाद भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जाती है, भंडारों का आयोजन किया जाता है।
सावन का महीना यानी भगवान भोले की आराधना का करने का विशेष महीना। वैसे तो यह पूरा महीना ही शिवजी की कृपा पाने के लिए है, लेकिन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष महत्व माना जाता है। आपको बता दे कि वैसे तो शिवरात्रि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है, लेकिन साल में दो बार आने वाली विशेष शिवरात्रि का हिंदू परंपरा में बडा महत्वपूर्ण माना जाता है।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार फाल्गुन महीने में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। इसके अलावा दूसरी बार सावन महीने में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को भी भगवान शिव की आराधना के साथ शिवरात्रि मनाई जाती है।
इस शुभ समय में भगवान शिव का पूजन करने से हर मनोकामना पूरी होती है। बताया जाता है कि सावन माह के प्रारंभ होते ही सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु विश्राम के लिए अपने लोक चले जाते हैं और अपना सारा कार्यभार भगवान शिव को सौंप देते हैं। भगवान शिव माता पार्वती के संग पृथ्वी लोक पर रहकर समस्त धरतीवासियों के संरक्षण का काम करते हैं।
आज सुबह से ही त्रयोदशी का भगवान आशुतोष का जलाभिषेक शुरू हो गया। यह क्रम शनिवार सुबह छह बजे तक चलेगा। हालांकि पूरे दिन में श्रद्धालु किसी भी समय भोलेनाथ का जलाभिषेक कर सकते हैं। विद्या बुद्धि के लिए शहद से, घर की शांति के लिए बेल के रस से, समस्त मनोकामनाओं के लिए गंगाजल से देवों के देव महादेव का जलाभिषेक करें। मंदिरों और घरों में शिव पूजन करने के लिए श्रद्धालुओं ने अपनी सभी तैयारियां पूर्ण कर ली हैं। मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।